यहाँ हर शख्स हर पल , हादसा होने से डरता है !खिलौना है जो मिटटी का फ़ना होने से डरता है !!
मेरे दिल के किसी कोने में, एक मासूम सा बच्चा !बड़ो कि देख कर दुनिया, बड़ा होने से डरता है !!
बहुत मुश्किल नहीं है, आईने के सामने जाना !हमारा दिल मगर क्यों, सामना होने से डरता है !!
न बस में जिन्दगी इसके, न कबी मौत पर इसका !मगर इन्सान फिर भी कब, खुदा होने से डरता है !!
अजब यह जिन्दगी कि कैद है, दुनिया का हर इंसा !रिहाई मांगता है और, रिहा होने से डरता है !!