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धूप में निकलो घटाओं में नहा कर देखो
ज़िंदगी क्या है किताबों को हटा कर देखो
धूप में निकलो घटाओं में नहा कर देखो
ज़िंदगी क्या है किताबों को हटा कर देखो
पत्थरों में भी ज़ुबां होती है दिल होते हैं
अपने घर के दरोदीवार सजा कर देखो
फ़ासला नज़रों का धोखा भी तो हो सकता है
वो मिले या न मिले हाथ बढ़ा कर देखो
Lyrics: Nida Fazli
दिन कुछ ऐसे गुज़ारता है कोई
जैसे अहसान उतारता है कोई।
आईना दिख के तसल्ली हुई
हमको इस घर में जानता है कोई।
देर से गूँजते हैं सन्नाटे
जैसे हमको पुकारता है कोई।gulzaar
फुलों की तरह लब खोल कभी
ख़ूश्बू की ज़ुबा मे बोल कभी
अलफ़ाज़ परखता रेहता है
आवाज़ हमारी तोल कभी
अन्मोल नहीं लेकिन फिर भी
पूछो तो मुफ़्त का मोल कभी
ये दिल भी दोस्त ज़मीं की तरह
हो जाता है डांवां डोल कभी
gulzaar
धुआं बनाके फिजां में उड़ा दिया मुझको,
मैं जल रहा था किसी ने बुझा दिया मुझको,
खड़ा हूँ आज भी रोटी के चार हर्फ़ लिए,
सवाल ये है किताबों ने क्या दिया मुझको,
मैं एक ज़रा बुलंदी को छूने निकला था,
हवा ने थम के ज़मीन पर गिरा दिया मुझको,
[album- sajda sung by lata ]
दर्द से मेरा दामन भर दे या अल्लाह,
फिर चाहे दीवाना कर दे या अल्लाह,
मैंने तुझ से चाँद सितारे कब मांगे,
रोशन दिल बेदार नज़र दे या अल्लाह,
सूरज सी एक चीज़ तो हम सब देख चुके,
सचमुच की अब कोई सहर दे या अल्लाह,या धरती के ज़ख्मों पर मरहम रखदे,
या मेरा दिल पत्थर कर दे या अल्लाह,
[album- sajda sung by lata ]
गम का खज़ाना तेरा भी है, मेरा भी
ये नज़राना तेरा भी है, मेरा भी
अपने गम को गीत बनाकर गा लेना
राग पुराना तेरा भी है, मेरा भी
शहर में गलीयों गलीयों जिसका चर्चा है
वो अफ़साना तेरा भी है, मेरा भी
तू मुझको और मैं तुझको समझाये क्या
दिल दिवाना तेरा भी है, मेरा भी
[album- sajda sung by jagjit-lata ]
हर तरफ़ हर जगह बेशुमार आदमी
फिर भी तनहाईयों का शिकार आदमी
सुबह से श्याम तक बोझ ढाता हुआ
अपनी ही लाश पर खुद मजार आदमी
हर तरफ़ भागते दौडते रास्ते
हर तरफ़ आदमी का शिकार आदमीरोज जीता हुआ रोज मरता हुआ
हर नए दिन नया इंतजार आदमी
जिंदगी का मुकद्दर सफ़र दर सफ़र
आखरी सांस तक बेकरार आदमी
[album- sajda sung by jagjit-lata, lurics- nida fazli ]
अपने घर के दरोदीवार सजा कर देखो
फ़ासला नज़रों का धोखा भी तो हो सकता है
वो मिले या न मिले हाथ बढ़ा कर देखो
Lyrics: Nida Fazli
दिन कुछ ऐसे गुज़ारता है कोई
जैसे अहसान उतारता है कोई।
आईना दिख के तसल्ली हुई
हमको इस घर में जानता है कोई।
देर से गूँजते हैं सन्नाटे
जैसे हमको पुकारता है कोई।gulzaar
फुलों की तरह लब खोल कभी
ख़ूश्बू की ज़ुबा मे बोल कभी
अलफ़ाज़ परखता रेहता है
आवाज़ हमारी तोल कभी
अन्मोल नहीं लेकिन फिर भी
पूछो तो मुफ़्त का मोल कभी
ये दिल भी दोस्त ज़मीं की तरह
हो जाता है डांवां डोल कभी
gulzaar
धुआं बनाके फिजां में उड़ा दिया मुझको,
मैं जल रहा था किसी ने बुझा दिया मुझको,
खड़ा हूँ आज भी रोटी के चार हर्फ़ लिए,
सवाल ये है किताबों ने क्या दिया मुझको,
मैं एक ज़रा बुलंदी को छूने निकला था,
हवा ने थम के ज़मीन पर गिरा दिया मुझको,
[album- sajda sung by lata ]
दर्द से मेरा दामन भर दे या अल्लाह,
फिर चाहे दीवाना कर दे या अल्लाह,
मैंने तुझ से चाँद सितारे कब मांगे,
रोशन दिल बेदार नज़र दे या अल्लाह,
सूरज सी एक चीज़ तो हम सब देख चुके,
सचमुच की अब कोई सहर दे या अल्लाह,या धरती के ज़ख्मों पर मरहम रखदे,
या मेरा दिल पत्थर कर दे या अल्लाह,
[album- sajda sung by lata ]
गम का खज़ाना तेरा भी है, मेरा भी
ये नज़राना तेरा भी है, मेरा भी
अपने गम को गीत बनाकर गा लेना
राग पुराना तेरा भी है, मेरा भी
शहर में गलीयों गलीयों जिसका चर्चा है
वो अफ़साना तेरा भी है, मेरा भी
तू मुझको और मैं तुझको समझाये क्या
दिल दिवाना तेरा भी है, मेरा भी
[album- sajda sung by jagjit-lata ]
हर तरफ़ हर जगह बेशुमार आदमी
फिर भी तनहाईयों का शिकार आदमी
सुबह से श्याम तक बोझ ढाता हुआ
अपनी ही लाश पर खुद मजार आदमी
हर तरफ़ भागते दौडते रास्ते
हर तरफ़ आदमी का शिकार आदमीरोज जीता हुआ रोज मरता हुआ
हर नए दिन नया इंतजार आदमी
जिंदगी का मुकद्दर सफ़र दर सफ़र
आखरी सांस तक बेकरार आदमी
[album- sajda sung by jagjit-lata, lurics- nida fazli ]